शुक्रवार, 13 अगस्त 2021

कंचन को कचरा बनाने का प्रयास

 कंचन को कचरा बनाने का प्रयास

आदरणीय आदरणीय प्रधानमंत्री जी आपने जो स्क्रैप पॉलिसी लांच की है  उचित नहीं है उसे वापस लेना चाहिए कचरे से कंचन बनाने का अभियान नहीं है बल्कि कंचन से कचरा बनाने का अभियान है प्रधानमंत्री जी एक चीज होती है राष्ट्रीय संपत्ति राष्ट्र में जो कुछ भी है वह राष्ट्र की संपत्ति है और वह जब तक उपयोग में आ सकती है तब तक उसका उपयोग करना यह हमारा कर्तव्य भी है,आज की आवश्यकता भी है और राष्ट्र की सेवा भी है विदेशी निवेश या अन्य किसी कृत्रिम कारणों से 15 वर्ष की सीमा में बांध कर सारे वाहनों को स्क्रैप कर देना यह राष्ट्रीय संपत्ति का बहुत बड़ा नुकसान होगा यह जो 10 - 15 पर्सेंट का लाभ दिखाया जा रहा है यह वास्तव में कोई मायने नहीं रखता अगर कोई वाहन 50 वर्ष चल सकता है और महंगे वाहन ,भारी वाहन जतन से चलाए भी जाते हैं तकनीक के परिवर्तन से उसमें मॉडिफाइड किया जा सकता है परंतु उसे बना कर फेंक देना कोई बुद्धिमानी का काम नहीं है यह राष्ट्रीय संपत्ति का सीधा नुकसान है जो भी पुराने वाहन हैं वह बेहद मजबूती के साथ बने हुए और श्रेष्ठ क्वालिटी के हैं अगर वह नहीं चलेंगे तो उनका मालिक खुद ही उन्हें स्क्रैप में बेच देगा जैसा अभी तक होता आया है15 वर्ष की सीमा में बांध कर आप अच्छे  भले,चलते-फिरते वाहन को स्क्रैप बनाने पर तुले हुए हैं यह राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान है अर्थात राष्ट्र का नुकसान है और नए वाहन जो दिए जाएंगे वह पुराने वाहन की कीमत से कई गुना अधिक महंगे और बहुत ही घटिया क्वालिटी के ही है  (मजबूती की दृष्टि से) जो किसी भी छोटे-मोटे एक्सीडेंट में पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं विदेशी निवेश को प्राप्त करने के लिए और कुछ रोजगार के लिए आप कई गुना अधिक राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान करना चाहते हैं और जो इनसे आज रोजगार में लगे हुए लाखो लोग हैं वह पूरी तरह से बेरोजगार हो जाएंगे क्योंकि 10 गुना 20 गुना महंगे नए और घटिया वाहन तो वे  खरीद नहीं पाएंगे और जो खरीदेंगे भी वह रोएंगे क्योंकि यह प्लास्टिक के खिलौने होंगे हम इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में भी इस खेल को देख चुके हैं कि ₹10.000 की लागत वाली चीज को लाख रुपए में बेचा जा रहा है किसको लाभ पहुंचाया जा रहा है और किसको लाभ हो रहा है यह कंचन को कचरा बनाने का अभियान है इसे समझा जाना चाहिए और तुरंत रोका जाना चाहिए हर समझदार व्यक्ति को राष्ट्रीय संपत्ति के किसी भी नुकसान का विरोध करना चाहिए 

विनम्र निवेदन है की समस्या की तह में जाकर समस्या को समझना चाहिए और जितने भी वाहन उद्योग में  निवेश से कारखाने  खोलें गए हैं उन सभी को बंद किया जाए और इस क्षेत्र में किसी भी नए निवेश को कदापि स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए  और किसी भी क्षेत्र में बाहरी निवेश को हमें हतोत्साहित कर स्वदेशी उधयोग  को ही आगे बढ़ाना चाहिए  और जो अनावश्यक कार्य ,गैर जरूरी कार्यों को बिलकुल ना करें कंचन को कचरा बनाने का प्रयास ना करें


मंगलवार, 10 अगस्त 2021

देश के साथ मजाक

 देश के साथ मजाक - एक उदाहरण के साथ बात प्रारम्भ करता हूँ TVS Motor Company ने जानकारी दी है कि TVS iQube इलेक्ट्रिक स्कूटर अब 11,250 रुपये सस्ती हो गई है। tvs ने एक बयान में कहा कि नई कीमत सरकार द्वारा फेम 2 योजना के तहत सब्सिडी में बदलाव को लेकर हाल में की गयी घोषणा के अनुरूप है। इससे देश में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री बढ़ाने में मदद मिलेगी।

टीवीएस मोटर कंपनी की इस घोषणा में अनेकों कमियां हैं पहली कंपनी टीवीएस की तरफ से है दूसरी कमी सरकार की तरफ से है तीसरी कमी राष्ट्रहित की और से है सबसे पहली बात यह बहुत अच्छी बात है कि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग किया जाए जिससे प्रदूषण और तेल पर हमारी निर्भरता कम हो सके इसके लिए हाल ही में केंद्र सरकार ने फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इन इंडिया स्टेज 2 (फेम इंडिया 2, FAME II) योजना में आंशिक संशोधन किया था। जिसके बाद कंपनी ने अपने इलेक्ट्रिक स्कूटर की कीमत में कटौती की घोषणा की है।
सरकार के आवाहन पर टीवीएस कंपनी ने वाहन जिसकी कथित कीमत बहुत घटा दी गई हैकंपनी ने जानकारी दी है कि TVS iQube इलेक्ट्रिक स्कूटर अब 11,250 रुपये सस्ती हो गई है। अब इस इलेक्ट्रिक स्कूटर की 1,00,777 रुपएये हो गई है। पहले इसकी कीमत 1,12,027 रुपये थी। वहीं कंपनी ने एक बयान में कहा कि नई कीमत सरकार द्वारा फेम 2 योजना के तहत सब्सिडी में बदलाव को लेकर हाल में की गयी घोषणा के अनुरूप है। इससे देश में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री बढ़ाने में मदद मिलेगी।
यह देश के साथ एक मजाक है एक साधारण स्कूटर की कीमत ₹100000 लाख रुपए से अधिक हो और उसमें से एहसान करते हुए ₹11000 कम कर लिए जाएं वास्तव में देश के साथ एक क्रूर मजाक है एक इलेक्ट्रॉनिक स्कूटर अगर बहुत साधारण तरीके से सोचा जाए एक मोटर एक बॉडी 1 बैटरी चार्जर यही इसकी मुख्य संपत्ति होती है अगर आधार प्राइस इन सब चीजों को जोड़ा जाए तो अधिकतम 10 से ₹15000 से अधिक इनका मूल्य नहीं होता है परंतु इन्हें कंपनी लाख-लाख रुपए में बेचकर देश को धोखा दे रही है वास्तव में देखा जाए तो आज देश में किसी भी वाहन को मैन्युफैक्चर करने की आवश्यकता समाप्त हो चुकी है इन वाहन मैन्युफैक्चरर यूनिटों को कंपनियों को पुरानी गाड़ियों के मॉडिफिकेशन का कार्य दिया जाना चाहिए और उसकी कीमत न्याय संगत होना चाहिए उसपर सरकार की नजर होना चाहिए
सरकार का कार्य है देश में गलत चीजों को ना होने दे जबकि यहां सरकार स्वयं इस तरह की दोषपूर्ण योजनाओं को आगे बढाना चाहती है ,स्वयं अमली जामा पहनाना चाहती है,यह देश पर, देश की जनता पर, देश की अर्थव्यवस्था पर ,अनावश्यक भारी बोझ डालना है जिस चीज की आवश्यकता नहीं है उन यूनिटों को प्रोत्साहित किया जा रहा है करने वाले अति आवश्यक और महत्वपूर्ण कार्यों की देश में कमी नहीं है फिर क्यों उनसे आँखे मूंदकर ,अनावश्यक दोषपूर्ण और देश की आर्थिक क्षति करने वाले कार्यों को अनावश्यक तौर तरीके से किया जा रहा है वर्तमान परिस्थितियां देश की आवश्यकता क्षमता देखते हुए देश में किसी भी नए वाहन की आवश्यकता नहीं है न हीं पुराने वाहनों को रद्द करने की कोई आवश्यकता है अगर करना ही है तो उनके स्थान पर पुराने वाहनों में कुछ परिवर्तन करे , किसी भी वाहन के 70% पार्ट पुर्जे वही आसानी से काम में आ सकते हैं केवल इंजिन के स्थान पर इलेक्ट्रिक या सोलर प्लेट ,डायनेमा ,बेटरी चार्जर, आदि चीजो की आवश्यकता होगी उन्हें बनाकर पुराने वाहन में जोड़ा जा सकता हैं यह किया जा सकता है कि वह गाड़ी दोनों चीजों से चल सके आपातकाल में पेट्रोल से भी चल सके तो क्या हर्ज है
आज हमारा देश जनसंख्या आधिक्य के साथ, वाह्नाधिक्य वाला देश बन चुका है हम जनसंख्या पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं यह हमारी कमी है सड़कों पर चलने का स्थान नहीं है कहीं पर भी जाओ पार्किंग के लिए स्थान नहीं है नई नीति के तहत ,पुराने वाहनों को भंगार में फेंका जाएगा जिनसे अभी वर्षों तक देखरेख करते हुए कार्य चलाया जा सकता है तो क्यों नहीं उन्हें मॉडिफिकेशन करके उनका प्रयोग किया जाए उन्हें नष्ट करना राष्ट्रीय संपत्ति को नष्ट करने जैसा है और अभी यह जो नया सब किया जा रहा है जिसके तहत आमंत्रित कर नये नये कारखाने खोले जा रहे है विदेशी निवेश करने वालो को उनकी शर्तो पर सरकार द्वारा उन्हें देश को लुटने की छुट दी जा रही है उसमे सहयोग किया जा रहा है अब ये जो कारखाने चलेंगे जनता के खरीदने तक यह जो अतिरिक्त दबाव होगा कृत्रिम दबाव होगा और इसका असली बोझ देश पर और देश की जनता पर ही पड़ेगा जिस शक्ति सामर्थ्य और पूंजी से हम ठोस और वास्तविक कार्य कर सकते हैं उसे हम एक तरह से बर्बाद कर रहे हैं यह नहीं होना चाहिए सरकार के विकास की चिंतन की यह धारा बहुत ही गलत है इस पर बहुत गंभीरता से पुनर्विचार किया जाना चाहिए

बुधवार, 7 जुलाई 2021

दुर्लभ रोग और होम्योपैथी

 

पांच महीने की तीरा कामत अब आम बच्चों की तरह बचपन बिता सकेगी। मुंबई की तीरा को स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी (एसएमए) टाइप 1 बीमारी है। यह दुर्लभ जेनेटिक बीमारी जीन थेरेपी से ही ठीक हो सकती है। मुश्किल यह है कि थेरेपी के लिए जो इंजेक्शन लगना है, उसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है। यह सिर्फ अमेरिका में ही मिलता है। मुश्किल यह भी है कि इंजेक्शन को अमेरिका से मंगवाने में करीब 6.5 करोड़ रुपए इम्पोर्ट ड्यूटी (23%) और जीएसटी (12%) लग रहा था। तब इसकी कीमत 22 करोड़ रुपए हो जाती। हालांकि 1 फरवरी को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्‌ठी ने इन मुश्किलों को आसान कर दिया। फडणवीस ने पीएम से टैक्स से छूट देने का आग्रह किया था। पीएम मोदी ने दवा पर लगने वाला टैक्स माफ कर दिया है।इस रोग में दूध पीना, सांस लेना कठिन होता है। मसल्स पर नियंत्रण नहीं होता।

दुर्लभ जेनेटिक रोग, जीन थेरेपी का इंजेक्शन देगा जिंदगी

 समाचार पत्र में यह समाचार है कि एक दुर्लभ जेनेटिक रोग के लिए अमेरिका से एक इंजेक्शन आने वाला है जो लगभग 22 करोड रुपए का पड़ता है परंतु उसमें सरकार इंपोर्ट ड्यूटी और जीएसटी माफ कर रही है सत्य हो करीब ₹160000000 में पड़ेगा भारत में अनेकों बच्चे अनेकों तरह की दुर्लभ बीमारियों से ग्रस्त रहते हैं और आए दिन सोशल मीडिया पर इनके मां बाप मदद की गुहार लगाते नजर आते हैं यह हर दिन का की बात हो गई है उपरोक्त 16 करोड़ की दवाई में के बारे में लिखते हुए डॉक्टरों का अनुमान है कि इससे दुर्लभ जेनेटिक बीमारी ठीक हो सकती है परंतु ठीक हो सकती है अगर इसी बीमारी को भारत के कुछ जीनियस सीनियर होम्योपैथ डॉक्टरों के सामने रखा जाता है तो वह सभी ठीक हो सकती है यह आश्वासन दे सकते हैं और उनके आश्वासन का वास्तव में हर्ष होगा अर्थ होगा की  ठीक हो ही जाएगा और इस तरह की  सभी बीमारियों में होम्योपैथी अधिक विश्वसनीयता से कार्य कर सकती है परंतु खेद है की इस तरह  से कोई अप्रोच भी नहीं होता और कोई विश्वास भी नहीं करता इसके लिए कौन  दोषी है  और ऐसा क्यों हो रहा है यह अपने आप में  चिंतन का विषय है बहराल अगर होम्योपैथी से ठीक होती है तो 16 करोड नहीं 1600000 नहीं लगभग मुफ्त में ऐसे रोगी ठीक हो सकते हैं और वह भी बिना किसी साइड इफेक्ट या परेशानी के कृपया होम्योपैथी को ट्राई करें और उस पर भरोसा करें केवल आपका कार्य यह होगा कि आप जीनियस होम्योपैथ को खोज ले  

अगर इस तरह की दुर्लभ बीमारियों में आप होम्योपैथी से चिकित्सा कर ठीक होते हैं तो कृपया ढोल नगाड़े बजाकर धूमधाम से उसका ऐलान करें और होम्योपैथी के उपकार का आभार माने क्योंकि ऐसा अनेको बार देखा गया है की दुर्लभ बीमारियों में लाभ प्राप्त करने के बावजूद  16 करोड़ खर्च करने के बावजूद भी जिन बीमारियों को एलोपैथी ठीक नहीं कर सकती ऐसी बीमारियां होम्योपैथ ने ठीक  की है परंतु किसी ने भी जिक्र तक करना जरूरी नहीं समझा जबकि हर एक होम्योपैथ के पास उसकी जिंदगी में इस तरह के असाध्य  सौ दो सौ केस अवश्य जिन्हें उन्होंने पूरी तरह से रोग मुक्त कर दिया है परन्तु ठीक होकर भी किसी रोगी ने इसका किसी से जिक्र करना भी जरूरी नही समझा यह दुखद है

गुरुवार, 24 जून 2021

देश की आंतरिक सुरक्षा का प्रश्न

 पुष्पेन्द्र जी अपने साथियो के साथ इसके सभी पहलुओ की सम्भावनाओ पर विचार करने का निवेदन है 

हिन्दुओ की सुरक्षा        

इसके लिए सरकार क्या क्या कदम उठा सकती है 

आपके ऊपर किसी क्रूर मुस्लिम उन्मादी भीड़ का कोई हमला होता है (अकबरउद्दीन ओवेसी के मंच से की गई वकालत से यह साबित होता है और काश्मीर आदि कई घटनाये यह बताती है यह कोई काल्पनिक भय नही है) यह होगा ,किसी भी बहाने से होगा पूरी प्लानिग व् तैयारी के साथ होगा तो आपका भगवान ही मालिक है क्योकि वह तो AK47 से लेस है आपके पास अपनी आत्मरक्षा के लिए लकड़ी डंडा भी नही है पुलिस या सेना आपको एकाएक वहां पहुंचकर बचा नही सकती तो मुस्लिमो के द्वारा किए गये हिन्दू जनसंहार के आसान शिकार बन जाएंगे आपके साथ जो कुछ भी होगा उसके लिए आप ही  जिम्मेदार और भुक्तभोगी होगे अगर हम चाहते है की हमारे साथ ऐसा न हो तो अपनी आत्मरक्षा की हमे ही तैयारीं करनी होगी

 

सबसे पहले पाकिस्तान के सभी हिन्दुओ को फास्टट्रैक से वहां से निकालकर भारत की सीमा में या  सुरक्षा घेरे में ले लिया जाए उसके बाद सरकार के द्वारा इस तथ्य को संसद में पूरे वजन के साथ स्पष्ट रूप से रखा जाए कि देश का विभाजन किस आधार पर हुआ था जिसमें सबसे महत्वपूर्ण बातें रखी गई थी कि हिंदू मुस्लिम एक साथ नहीं रह सकते अतः उन्हें अलग राष्ट्र चाहिए इसके लिए वोटिंग हुई और 80% बहुमत के साथ मुसलमानों ने विभाजन के पक्ष में वोट दिया था इस प्रकार देश का विभाजन हुआ परंतु गांधीजी की वजह से करोड़ मुसलमान पाकिस्तान के ,अलगाव के पक्ष में वोट देकर भी पाकिस्तान नहीं गये ,विभाजन हो चुका था और विभाजन का आधार ही था कि हिंदू मुस्लिम अलग अलग रहेंगे इसके बावजूद जो मुस्लिम नही गये उनका इस देश पर कोई किसी भी सूरत में कोई संवैधनिक अधिकार नहीं रहा है मुसलमानो को उनका मुल्क पाकिस्तान के रूप में दे दिया गया था फिर भी वह अब तक अगर भारत में रह रहे हैं तो यह केवल भारत की दरियादिली है .भारत ने भी उन्हें पूरी अपनेपन से और बराबरी से रखा परंतु उन्होंने कभी भी इस बात की कद्र नहीं की उल्टे देश को चोट पहुंचाने की तोड़ने की साजिश में ही लगे रहे और आज भी लगे हुए हैं उन्होंने अपनी जनसंख्या को करोड़ जो विभाजन के समय थी उसे 27 करोड से भी ऊपर पहुंचा दिया अब वे चाहते हैं कि इसे 30 करोड़ से ऊपर पहुंचा कर शेष भारत को भी अपने कब्जे में ले ले यह उनकी नियत है और बिल्कुल स्पष्ट है और इसे वे छुपाते भी नहीं है इन हालातो में अब हम मुस्लिमों को भारत में इसी रूप में रहने नहीं दे सकते आज तक की सारी हरकतों व्यवहार और बयान बयानों के,घटनाओं के आधार पर यह साबित होता हैं कि वे भारत को नुकसान पहुंचाने और उस पर अधिकार जमाने में लगे हुए है इस मामले में देशभर के अधिकांश मुस्लिम एक है और वे किसी भी हालत में मानने वाले नही है

तो इस समस्या का निराकरण कैसे करे परंतु 27 करोड़ मुस्लिमों के लिए एकाएक न तो उन्हें देश निकाला दिया जा सकता है तो क्या किया जाए इसका सबसे बेहतर उपाय कि मुस्लिमों की नागरिकता को,समस्त राजनैतिक अधिकार को समाप्त कर दिया जाए और उन्हें नियत स्थानो की सीमाओ में रहना अनिवार्य कर दिया जाए, सख्त नियम और शर्तों के साथ रहना ,नियमों का पालन करना ,हर मुसलमान के लिए अनिवार्य घोषित कर दिया जाए अगर नियमों का उल्लंघन किया जाता है तो उसे राष्ट्रद्रोह माना जाएगा देश में किसी भी सरकारी नौकरी में इन्हें कोई स्थान नहीं दिया जाएगा इनका कोई भी सार्वजनिक धार्मिक अधिकार नहीं होगा वे  केवल अपनी तय मस्जिद में जाकर अनुशासन से नमाज पढ़कर अपने घर जाएं अगर कहीं पर भी उन्होंने विद्रोह करने का या तोड़फोड़ करने का प्रयास किया तो उसके लिए उन पर देशद्रोह की कार्यवाही की जाएगी, विद्रोह हिंसा को शांत करने के लिए शूट एंड साइट का आर्डर भी किया जा सकता है किसी भी मस्जिद में लाउडस्पीकर की अनुमति नहीं होगी विभाजन के बाद पहले दिन से ही मुसलमान अपने एजेंडे में लग चुके थे सारे मुसलमान एक अलग इकाई के रूप में देश में रह रहे थे कश्मीर गोधरा के साथ देश की हर छोटी बड़ी सांप्रदायिक घटना हिंसा की घटना की गहराई में जाकर अगर हम देखते हैं तो हम पाते हैं कि सारे मुसलमान इन सभी मामलों में इसी भावना से काम कर रहे हैं और सारे मुसलमान एक दूसरे को समर्थन कर रहे हैं किसी का सक्रिय समर्थन है किसी का मूक समर्थन है इन सारी चीजों में किसी भी मुस्लिम ने भी इसका विरोध करने का प्रयास भी नहीं किया यह बताया कि मुसलमान कहीं भी रहे किसी भी पद पर रहे किसी भी रूप में रहे मुस्लिम एकता मुस्लिम भावना के साथ है ,एकता आतंकवाद को समर्थन है ,आतंकवाद के साथ दिल धड़कते हैं

इन सभी तथ्यों को हम स्वीकार करते हैं तो अब समय आ गया है केवल देश की जनता ही नहीं बल्कि देश की सरकार भी इस सत्य को स्वीकार करें और तथ्यों के साथ संसद के पटल पर सत्य को रखें फिर चाहे कानून बनाना पड़े यह खुलकर घोषित किया जाए कि मुसलमान का भारत पर न कोई अधिकार था ना है ना रहेगा पाकिस्तान चले उन्हें पाकिस्तान दे दिया गया था वह केवल इसी आधार पर दिया गया था अब जो भी मुसलमान पाकिस्तान जाना चाहते हैं उनके रास्ते हैं तो पाकिस्तान चले जाएं अगर नहीं जाना चाहते हैं तो यहां पर उन्हें शरणार्थी के रूप में दोयम दर्जे की नागरिक के रूप में रहना होगा उन्हें किसी भी तरह के राजनीतिक मामले में बोलने का कोई अधिकार नहीं होगा एक बच्चे के कानून का सख्ती से इन्हें पालन करना होगा और धार्मिक मान्यता को चारदीवारी के अंदर ही पालन करना होगा किसी भी तरह की हिंसा से अगर वह जुड़े हुए पाए जाते हैं और उन्हें देशद्रोह का अपराधी ही माना जाएगा जिसकी सजा मौत दी जा सकती है

संसद में इस घोषणा के पहले हमें देश के सारे हिंदुओं की रक्षा करने के लिए कुछ चीजों पर ध्यान देना होगा और कुछ चीजों का पालन करना होगा हर शहर हर वार्ड में हिंदू सुरक्षा समिति का गठन कर उन सुरक्षा समितियों के हाथों में आत्मरक्षा के लिए कुछ हथियार दिए जाना चाहिए जिससे मुस्लिम दंगाइयों की भीड़ आक्रमण से सुरक्षा के लिए हिंदू सुरक्षा समिति अपने वार्ड की या अपने आसपास के वार्ड जहां पर इस तरह का कोई आक्रमण होता है वहां अपने हिंदू भाई बहनों की रक्षा कर सकें और किसी भी रूप में दूसरा काश्मीर ना बन सके उसके बाद यह घोषणा संसद में की जाए फिर चाहे आपातकाल लगाना पड़े तो आपातकाल लगा दिया जाए कोई नहीं हर्ज नहीं है

 

 आज आम नागरिक पूरी तरह से असुरक्षित असहाय और लाचार महसूस करता है मुसलमानों का दुस्साहस कितना अधिक बढ़ चुका है जब भी मुसलमानों के द्वारा हिंदुओं पर हमला होता है तब वह अपने परिवार के साथ बिल्कुल सरल निशाना माना जाता है जो हमने कश्मीर में प्रत्यक्ष रूप से देखा है इसमें पुलिस या सेना उस वक्त वहां पर कुछ नहीं कर सकी क्योंकि यह भीड़ कहां से निकलकर किस पर कब आक्रमण कर देगी उसका कोई अंदाजा नहीं होता है सभी हिंदू अंदर ही अंदर स्वीकार करते हैं एक दिन इस तरह के दुर्भाग्य का हम सभी को सामना करना होगा यह सामने दिखाई दे रहा है परंतु कानूनन हम अपने घर में आत्मरक्षा के लिए कोई हथियार नहीं रख सकते ना उसका उपयोग कर सकते हैं वैसे भी हत्या का हमारे परिवार में या संस्कृति में कहीं कोई उपाय नहीं कंसेप्ट ही नहीं इसलिए हमारे किसी भी घर में कोई हथियार चाकू तक भी आत्मरक्षा के उपयोग में आए ऐसा नहीं मिलेगा जबकि  मुसलमानों के पास सारी तैयारियां होती है चाकू छुरी के साथ में आग्नेय अस्त्र तक इन्होने जुटाकर रखे है ,मशीनगन ए. के. 47 सभी कुछ इनके पास मौजूद है इस बात को सरकार न्यायपालिका पुलिस प्रशासन समस्त राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मीडिया सभी लोग अच्छे से जानते हैं भारत के मुसलमान इस तरह की हरकतें करते ही रहते हैं कश्मीर इसका सबसे बड़ा और जीवंत उदाहरण है गोधरा के साबरमती एक्सप्रेस की बोगी में हिंदुओं को जिंदा जला देने की घटना को कौन नहीं जानता परंतु आज तक इनके भय से इनकी संख्या बल के भरोसे सभी चुपचाप इन चीजों को सहते हुए बैठे हैं लेकिन इन चीजों से उबरने के लिए जनता अपने दम पर कुछ नहीं कर सकती छोटे-छोटे टुकड़ों में हम इस तरह की घटनाओं में आए दिन देखते हैं बात तो समझ लीजिए कि सबसे बड़ा तथ्य यह है कि मुसलमान एक लक्ष्य के साथ पूरी तरह से एकजुट है बिना किसी बहस संदेह के और इस चीज को वह बहुत अधिक छुपाते भी नहीं वे जानते हैं इस एकजुटता से वह इस देश पर आज नहीं तो कल पूरी तरह से अधिकार जमा ही लेंगे अगर हमने अभी कोई कदम नही उठाया तो फिर इसे कोई रोक भी नही सकता 

सोमवार, 21 जून 2021

उपलब्ध संसाधन और भ्रष्टाचार

 

सामान्य रूप से यह माना जाता है की संसाधनों की धन की कमी की वजह से चीजें सही नहीं हो रही है काम नहीं हो पा रहे हैं और हम लाचार हैं परंतु वास्तव में यह सच नहीं है सच्चाई इससे बहुत अलग है परंतु अपनी सुविधा के लिए यह धारणा को बना रखा है हम किसी भी चीज से बचने के लिए मुहावरे और  भाषाओं का उपयोग करते हैं जैसे किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति के सामने अगर समस्या रखी जाती है और वह किसी भी रूप में नहीं चाहता कि इस बात को सुना जाए, इस समस्या को हल करने में कोई रुचि ली जाए या वह पहले ही वहां बहुत लीपापोती कर चुका है और उस तरफ से आपको झटक देना चाहता है तो वह कहता है कि हमारे पास कोई जादू की लकड़ी नहीं है घुमाई और समस्या हल हो गई परंतु वास्तव में देखा जाए तो सभी के पास जो अधिकार रखते हैं वह जादू की लकड़ी भी रखते हैं शर्त इतनी होनी चाहिए उस लकड़ी का दामन सिरा किसी ने बांध ना रखा हो

जो संसाधन भी हमारे पास उपलब्ध हैं उन्हीं के बल पर हम किसी समस्या का बहुत अच्छे से हल कर सकते हैं उदाहरण के लिए किसी भी सरकारी कार्यालय या रेलवे के कार्यालय में पूछताछ केंद्र के कर्मचारियों से आप बात करके देखिए ट्रेन के आने का जो समय वह बताते हैं और वास्तव में ट्रेन जिस समय आती है आज भी उसमें काफी फर्क होता है आज से 50 वर्ष पहले भी रेलवे के पास कम से कम इतने संसाधन तो थे ही कि वह ट्रेन की सही सही स्थिति का पता लगा ले और उसका आकलन करके ट्रेन के आने का सही समय बता सकें परंतु 50 वर्ष तो छोड़िए आज जब संचार क्रांति का समय है इतने संसाधन हाथों में हैं उसके बावजूद भी न तो एक्यूरेट समय बता पाते हैं ,न प्लेटफार्म न बोगी की सही सही पोजीशन आज भी नहीं बता पाते हैं कई बार बताई गई पोजीशन एकदम विपरीत आती है या प्लेटफार्म एन टाइम पर बदल जाता है सभी जानते हैं इससे यात्री, बुजुर्ग महिला बच्चे सामान लेकर एन टाइम पर प्लेटफार्म बदलना कितना कष्टकारी होता है परंतु इस बात से इन लोगों को कोई फर्क नहीं पढ़ता ना ही इसके लिए वह अफसोस जाहिर करते हैं यह उनका रूटीन कार्य है दूसरी बात पूछताछ केंद्र हो या कोई भी सरकारी कार्यालय हों, आपके किसी भी प्रश्न ,पूछताछ को अवांछित मानते हैं आपने कुछ पूछा तो ऐसा दिखाया जाता है कि उनके सर पर आपने आक्रमण कर दिया हो बात का उत्तर, लहजा सभी यह बताता है ,आपको उत्तर चाहे स्पष्ट हो या ना हो एक प्रश्न पूछ कर आप खुद ही उसका चेहरा और मोहरा देखकर आगे कोई बात ही नहीं पूछेंगे जबकि किसी भी कर्मचारी ,अधिकारी या जनसेवक का कार्य जनसेवा है और जनता की किसी भी समस्या को सुनना और उसे हल करने में जनता का हर तरह से सहानुभूति पूर्ण सहयोग करना अनिवार्य दायित्व है अपनी ड्यूटी करते हुए उन्हें न केवल अपनी ड्यूटी से प्यार करना है बल्कि अपनी ड्यूटी करते हुए अपने आपको विनम्र हंसमुख भी रखना है यह भी अनिवार्य ड्यूटी है ना कि बुरा सा मुंह बनाकर यह जवाब देना कि मेरे पास कोई जादू की लकड़ी नहीं है यह आपराधिक कार्य माना जाना चाहिए परंतु यह रूटीन है और रूटीन तो इससे आगे भ्रष्टाचार रिश्वत तक सामान्य  माना जाता है

किसी सरकारी कार्यालय में दुगने कर्मचारी नियुक्त कर दिए जाएं तो क्या समय पर सुचारू रूप से इमानदारी पूर्वक कार्य होने लगेगा आप बताइए

किसी नवनिर्मित चमचमाते हुए भवन में किसी सरकारी कार्यालय को शिफ्ट कर दिया जाए और सारी आधुनिक सुविधाएं वहां लगा दी जाएं देखकर आपकी आंखें चौंधिया जाए ऐसा चमचमाता हुआ पूरा भवन परन्तु क्या उससे कार्य की गुणवत्ता में गति में कर्मचारियों की प्रसन्नता में कार्य क्षमता में कोई वृद्धि होगी ? 2 वर्ष के बाद चमचमाता हुआ भवन आपको किस अवस्था में मिलेगा क्या आप बता सकते हैं मैं समझता हूं उपरोक्त बातों का उत्तर नकारात्मक ही होगा बुनियादी सुविधाएं जो आवश्यक है वह मिलना ही चाहिए परंतु उनके बिना कार्य नहीं होगा ठीक से नहीं होगा समय पर नहीं होगा भ्रष्टाचार तो होगा ही यह सब हमारी सरकारी मान्यता का सरकारी कार्यप्रणाली का प्रमुख अंग है जहां कार्य को बोझ समझा जाता है और शिकायत का बहुत बुरा माना जाता है और इक्का-दुक्का कार्यवाही जो इसके खिलाफ होती हैं उससे इस व्यवस्था का बाल भी बांका नहीं होता ना हो सकता है शायद यह उनका लक्ष्य भी नहीं रहता

कोई भी मुनाफा कमाता धंधा,व्यापार ,उद्योग या सेवा या कार्य सरकारी कर्मचारी ,अधिकारियो के हाथ में दे दिया जाए तो अगले कुछ ही वर्षो में उसकी स्थिति दयनीय मिलेगी यह हकीकत है और सबसे अधिक सैलरी भत्ते ,मोटी रिश्वत भी ये ही लेते है यह वर्षो की लागातार प्रेक्टिस है और यह पत्तो पर कार्यवाहियां करने से या रूटीन कार्यवाही करने से इसका बाल भी बांका नही हुआ, हो भी नही सकता

इन हालातो में यह तस्वीर हरगिज बदली नही जा सकती जबतक कर्णधारो में ईमानदार इच्छाशक्ति का उदय नही होता तब तक कुछ भी नही हो सकता अभी बाते करने के अलावा कही भ्रष्टाचार मिटाने की ईमानदार इच्छाशक्ति कही दिखाई नही देती है  

बुधवार, 16 जून 2021

देश के साथ मजाक

 देश के साथ मजाक 

TVS Motor Company (टीवीएस मोटर कंपनी) ने अपने इलेक्ट्रिक स्कूटर TVS iQube (टीवीएस आईक्यूब) की कीमतों में बड़ी कटौती की है। टीवीएस मोटर कंपनी ने मंगलवार को कहा कि उसने फेम 2 योजना के तहत सब्सिडी में बदलाव के अनुरूप अपनी आईक्यूब इलेक्ट्रिक स्कूटर की कीमतें घटा दी हैं। हाल ही में केंद्र सरकार ने फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इन इंडिया स्टेज 2 (फेम इंडिया 2, FAME II) योजना में आंशिक संशोधन किया था। जिसके बाद कंपनी ने अपने इलेक्ट्रिक स्कूटर की कीमत में कटौती की घोषणा की है।


कीमत कितनी हुई कम

कंपनी ने जानकारी दी है कि TVS iQube इलेक्ट्रिक स्कूटर अब 11,250 रुपये सस्ती हो गई है। अब इस इलेक्ट्रिक स्कूटर की दिल्ली में कीमत 1,00,777 रुपएये हो गई है। पहले इसकी कीमत 1,12,027 रुपये थी। वहीं बंगलूरू में इसकी कीमत अब 1,10,506 रुपये हो गई है, जो पहले 1,21,756 रुपये थी। कंपनी ने एक बयान में कहा कि नई कीमत सरकार द्वारा फेम 2 योजना के तहत सब्सिडी में बदलाव को लेकर हाल में की गयी घोषणा के अनुरूप है। इससे देश में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री बढ़ाने में मदद मिलेगी। 


टीवीएस मोटर कंपनी की इस घोषणा में अनेकों कमियां हैं पहली कंपनी टीवीएस की तरफ से है दूसरी कमी सरकार की तरफ से है तीसरी कमी राष्ट्रहित की और से है सबसे पहली बात यह बहुत अच्छी बात है कि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग किया जाए जिससे प्रदूषण और तेल पर हमारी निर्भरता कम होते हो सके इसके लिए हाल ही में केंद्र सरकार ने फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इन इंडिया स्टेज 2 (फेम इंडिया 2, FAME II) योजना में आंशिक संशोधन किया था। जिसके बाद कंपनी ने अपने इलेक्ट्रिक स्कूटर की कीमत में कटौती की घोषणा की है।

 सरकार के आवाहन पर टीवीएस कंपनी ने वाहन जिसकी कथित कीमत बहुत घटा दी गई हैकंपनी ने जानकारी दी है कि TVS iQube इलेक्ट्रिक स्कूटर अब 11,250 रुपये सस्ती हो गई है। अब इस इलेक्ट्रिक स्कूटर की दिल्ली में कीमत 1,00,777 रुपएये हो गई है। पहले इसकी कीमत 1,12,027 रुपये थी। वहीं कंपनी ने एक बयान में कहा कि नई कीमत सरकार द्वारा फेम 2 योजना के तहत सब्सिडी में बदलाव को लेकर हाल में की गयी घोषणा के अनुरूप है। इससे देश में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री बढ़ाने में मदद मिलेगी। 

यह देश के साथ एक मजाक है एक साधारण स्कूटर की कीमत ₹100000 लाख रुपए से अधिक हो और उसमें से एहसान करते हुए ₹11000 कम कर लिए जाएं वास्तव में देश के साथ एक क्रूर मजाक है एक इलेक्ट्रॉनिक स्कूटर अगर बहुत साधारण तरीके से सोचा जाए एक मोटर एक बॉडी 1 बैटरी चार्जर यही इसकी मुख्य संपत्ति होती है अगर आधार प्राइस इन सब चीजों को जोड़ा जाए तो अधिकतम 10 से ₹15000 से अधिक इनका मूल्य नहीं होता है परंतु इन्हें कंपनी लाख-लाख रुपए में बेचकर देश को धोखा दे रही है वास्तव में देखा जाए तो आज देश में किसी भी वाहन को मैन्युफैक्चर करने की आवश्यकता समाप्त हो चुकी है इन वाहन मैन्युफैक्चरर यूनिटों को कंपनियों को पुरानी गाड़ियों के मॉडिफिकेशन का कार्य दिया जाना चाहिए और उसकी कीमत  न्याय संगत होना चाहिए उसपर सरकार की नजर होना चाहिए 


 सरकार की ओर से कमी-  सरकार का कार्य है देश में गलत चीजों को ना होने दे जबकि यहां सरकार स्वयं इस तरह की दोषपूर्ण योजनाओं को अमली जामा पहनाना चाहती है,यह देश पर, देश की जनता पर, देश की अर्थव्यवस्था पर ,अनावश्यक भारी बोझ डालना है जिस चीज की आवश्यकता नहीं है उन यूनिटों को प्रोत्साहित किया जा रहा है करने वाले अति कार्यों की देश में कमी नहीं है फिर क्यों अनावश्यक कार्यों को अनावश्यक तौर तरीके से किया जा रहा है वर्तमान परिस्थितियां देश की आवश्यकता देश क्षमता देखते हुए देश में किसी भी नए वाहन की आवश्यकता नहीं है नहीं पुराने वाहनों को रद्द करने के स्थान पर उन वाहनों में कुछ परिवर्तन किए जा सकते हैं किसी भी वाहन के 70% पार्ट पुर्जे वही काम आ सकते हैं केवल इंजिन के स्थान पर इलेक्ट्रिक या सोलर प्लेट ,डायनेमा ,बेटरी चार्जर, आदि  चीजें ऐड की जा सकती हैं तो कोई बड़ी बात नहीं है उसमें यह भी किया जा सकता है कि वह गाड़ी दोनों चीजों से चल सके आपातकाल में पेट्रोल से भी चल सके तो क्या हर्ज है


राष्ट्रहित की ओर से इस में कमी है अभी हमारा देश वाह्नाधिक्य वाला  देश बन चुका है हम जनसंख्या पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं यह हमारी कमी है सड़कों पर चलने का स्थान नहीं है कहीं पर भी जाओ पार्किंग के लिए स्थान नहीं है ,पुराने वाहनों को भंगार में फेंका जाएगा उससे अभी वर्षों तक देखरेख करते हुए कार्य चलाया जा सकता है तो क्यों नहीं उन्हें मॉडिफिकेशन करके उनका प्रयोग किया जाए उन्हेंनष्ट करना राष्ट्रीय संपत्ति को नष्ट करने जैसा है और यह जो नया सब किया जाएगा मैन्युफैक्चरिंग चलेंगे जनता के खरीदने तक यह जो अतिरिक्त दबाव होगा कृत्रिम दबाव होगा और इसका असली बोझ  देश पर और देश की जनता पर पड़ेगा जिस शक्ति सामर्थ्य और पूंजी से हम ठोस और वास्तविक कार्य कर सकते हैं उसे हम एक तरह से बर्बाद कर रहे हैं यह नहीं होना चाहिए सरकार के विकास की चिंतन की यह धारा यह गलत है इस पर बहुत गंभीरता से पुनर्विचार किया जाना चाहिए


शनिवार, 24 अप्रैल 2021

दिग्भ्रमित मकडजाल मे रेल्वे -गिरीश नागड़ा

 

रेलवे नई सुविधा देने वाला है नई सुविधा याने प्रीमियम ट्रेनों में मनपसंद फिल्में और गाने देखने की ऑनलाइन सुविधा इससे पूर्व भी रेलवे नई सुविधाओं में मनपसंद भोजन मनपसंद डिश सफर के दौरान मसाज सुविधा आदि देने की घोषणा कर चुका है यह मस्तिष्क का दिवालियापन है की रेलवे आम आदमी की जगह की समस्या को तो समस्या नहीं मानता उन्नाव उसको सुलझाने को कोई सुविधा देना नहींमानता है वह तो गिनती में ही नहीं है 

 

देश के महत्वपूर्ण बुद्धिजीवियो,अर्थशास्त्रियों आदि सब की रायों के आधार पर देश  की आर्थिक नीतियां तय की जाती है परंतु वह जमीन से थोड़ा ऊपर उठकर हवा में होती हैं और तथ्यों के एक पहलू को ही देखते हुए की जाती है और उसी के अनुसार आकलन किया जाता हैं फिर बुनियादी रूप से गलत नीतियां बनायी जाती हैं

परन्तु सच पूछा जाए तो दुनिया में क्या हो रहा है और दुनिया क्या कर रही है हमें उससे ज्यादा मतलब नहीं रखते हुए अपने देश की आर्थिक स्थिति पर ध्यान केंद्रित करने की अधिक आवश्यकता, आवश्यक है जो वे  नहीं कर रहे हैं अगर करते तो आसानी से हमें ज्ञात हो जाता कि हमारी नीतियां बुनियादी रूप से ही गलत है हम कुछ बुनियादी गलतियां कर रहे हैं जो लगातार बढ़ती जा रही हैं

हमारी सबसे बड़ी बुनियादी भूल यह है कि हम दुनिया को देख कर अपने मानक, कदम, ताल ,दिशा, तो तय कर रहे हैं उन मापदंडों में अपने आप को खींचतान कर बैठा रहे हैं जिनके लिए बुनियादी रूप से हम नहीं बने हैं हमारी संस्कृति, हमारी सामाजिक संरचना, हमारी आर्थिक परिस्थिति ,संरचना, चिंतन सब कुछ उनसे बुनियादी रूप से ही भिन्न है हम झूठे मानव अधिकारों का ढोल बजाने वाले,सिर्फ  भौतिकता वादी देश नहीं है, हम जिंदा मानवतावादी देश हैं व्यापार और व्यवसाय हमारे लिए द्वितीयक है, प्रथम व सर्वोपरिय  है ,समाज के प्रति हमारा दायित्व राष्ट्र, मानवता,इंसानियत के प्रति हमारा दायित्व अगर हम, राष्ट्र समाज या व्यक्ति समाज की मूलभूत दुख दर्द, जरूरतों  आवश्यकताओं को अनदेखा, नजरअंदाज कर झूठी शान शौकत प्रदर्शन, दिखावे,दूसरों की नकल कर भौतिक रंगरेली और विलासिता में डूबते है और इन पर खर्च करते है और उल्टे उसके लिए कर्ज लेते हैं जो हम ले रहे हैं तो हम अपराधी हैं और हम तो आर्थिक नीतियों में इतने दिग्भ्रमित हैं की हमें जो विनाश की ओर ले जाए ऐसे अनावश्यक और आत्मघाती मोटे मोटे कर्ज हम ले रहे हैं हम उसे विकास के लिए निवेश का नाम दे रहे हैं और भीख मांगने की तरह खुशामद कर रहे हैं यह सब हमारे गलत बुनियादी आर्थिकचिंतन ,सलाहों की वजह से  हो रहा हैं

राष्ट्र के जिन  अति आवश्यक कार्यों के लिए हमारे कदम उठने चाहिए उन पर हमारा कोई भी ध्यान नहीं है जिनसे समाज की समस्याओं का कठिनाइयों का कोई हल मिल सके और खुशहाली आए पता नहीं क्यों दिग्भ्रमित होकर , प्रेरित होकर या अन्य किसी एजेंडे के चलते  हम ऐसे कार्य योजनाओं के लिए कदम उठा रहे हैं जो सीधे-सीधे हमारे लिए जहर के समान विनाशी और आत्मघाती है इसमें हम अपनी कार्य क्षमता,योग्यता उपयोगिता, संसाधन ,श्रम और समय सब कुछ नष्ट करेंगे और लगातार कर रहे हैं अगर हम  अब भी नहीं समझे ,नहीं संभले तो समाज दुखी दुखी हो जाएगा और हमारे हाथ में  गर्म लाल सूर्ख दहकती हुई पगड़ी रह जाएगी  जिसे हम अलग-अलग सिरो पर घुमा भी नहीं पाएंगे तब रोने और गुलाम होने के अलावा हमारे पास दूसरा चारा नहीं रह जाएगा

 

मैं यहां पर रेलवे को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत कर रहा हूं  क्योकि हम सबसे बढ़े कदम रेल्वे में उठाने जा रहे है जिसका दुष्प्रभाव समूचे देश की सेहत पर हर क्षेत्र में होने वाला है भारत में रेल देश की आम जनता के आवागमन का महत्वपूर्ण  सार्वजनिक साधन है एक समय था जब यह मानकर चला जाता था कि रेलवे को आम जनता के मुख्य आवागमन के साधन के रूप में सस्ते से सस्ता रखा जाएगा और रखा भी गया  बाद में धीरे धीरे इसमें कई तरह के परिवर्तन किए गए और इसे नफे नुकसान के तराजू से तोला जाने लगा एक तरह से व्यवसायिकता का इसमें प्रवेश हुआ  टिकट और  माल भाड़े बार-बार बढ़ाए गए और तरह-तरह के अनावश्यक प्रयोग किए गए धीरे-धीरे सरकार ने अपना फोकस हटाकर इसे अमीरों व श्रेष्ठी वर्गों का साधन बनाने का कार्य प्रारंभ किया प्रथम श्रेणी का भी विस्तार किया गया और उसे वातानुकूलित दो-तीन खंडो  में बांट दिया गया इसके बाद समूची वातानुकूलित ट्रेनें पटरियों पर एक के बाद एक कई लाई गई,आज भी लाई जा रही है जो आधी खाली ही दौड़ती रहती है बड़े शहरों से बड़े शहरों की ओर छोटे और मध्यम दर्जे के स्टेशनों पर  उनके स्टाप नहीं रखे गए इन आधी खाली ट्रेनो में भी आधे मुफ्त पास वाले अधिकारी नेता सफर करते  हैं जनता मांग करती है सामान्य ट्रेनें बढ़ाई जाएं उनके स्टॉपेज बढ़ाए जाएं उनमें बोगियां बढ़ाई जाएं तो उनमें एक ,दो   वातानुकूलित बोगियां बढ़ा दी जाती है अर्थात जनता की मांग वास्तविक आवश्यकता को कभी गंभीरता से लिया ही नहीं जाता और ना कभी उन पर गंभीरता से विचार किया जाता है.

  कर्मचारियों के वेतन भत्ते तो लगातार बढाए गए परन्तु देखरेख साफ सफाई आदि सभी लापरवाही की भेंट चढ़ती चली गई जिसे ना कोई देखने वाला था ना कोई सुनने वाला था आज अमीरों की एक ए,सी  ट्रेन में मुश्किल से 200 - 300  यात्री यात्रा करते हैं जबकि सामान्य ट्रेनों में 2 -3 हजार यात्री  भी सफर करने के लिए मजबूर होते हैं  इसके बावजूद होने वाले घाटे के लिए उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया जाता है  फिर किराया बढाया जाता है  और इससे प्राप्त अतिरिक्त आय को  अमीरों की नई ट्रेन चलाने में लगाया जाता है अभी एक घोषणा और की गई है  की  जिन स्टॉपेज  पर कम रेवेन्यू जनरेट हो रहा है  वहां के स्टॉपेज बंद कर दिए जाएंगे अब इस तरह के उपाय किए जा रहे हैं (आप देखे कहाँ कृपण और कहाँ उदार हो रहे है ) नवाचार नकल के रूप में एक उपाय किया गया था कौचो के टायलटों को बायो टॉयलेट में बदला गया  आज वह बायो टॉयलेट सर के दर्द बन गए हैं करोड़ों रुपया उसमें झोंका गया होगा परंतु उसका 1% भी रखरखाव नहीं कर पाए और वह समूची ट्रेनों में इतने गंदे और भरे हुए मिलते हैं कि टॉयलेट जाना मुश्किल हो जाता है  एक और नवाचार उपाय किया गया था एक्सीडेंट में बोगी एक दूसरे के ऊपर चढ़ जाती हैं  अतः दो बोगी के बीच की कपलिंग के स्थान पर उन्हें सीधा जोड़ा गया है जिसकी वजह से ट्रेनों में भारी  झटके लगने लगे हैं 

अब रेल मंत्रीजी ने घोषणा की है कि सरकार रेलवे में एक सौ साठ लाख करोड़ रुपए के निवेश की योजना पर कार्य कर रही है  इतना रुपया सरकार के पास नहीं है अतः कुछ क्षेत्रों को निजी क्षेत्रों के लिए खोला जा सकता है निजी क्षेत्र के हाथों में कुछ सेक्टर के संचालन का कार्य दिया जा सकता है और उनसे इसके लिए लाइसेंस फीस के रूप में मोटी रकम ली जा सकती है  अंतरराष्ट्रीय मानकों की तकनीक, निवेश, सार्वजनिक प्राइवेट साझेदार या फिर टोल ऑपरेट ट्रांसफर मॉडल को अपनाना चाहते हैं क्योंकि रेलवे का विकास चाहते हैं और सरकार अकेले इसमें निवेश करने में सक्षम नहीं है   इसके अलावा सरकार कुछ प्रमुख शहरों की बुलेट ट्रेनों की योजना पर भी काम कर रही  है एक रूट की बुलेट ट्रेन का लागत खर्च एक लाख करोड़ से अधिक है  अभी मुंबई अहमदाबाद रूट को परीक्षण में रखा है इसी पर काम चल रहा है जापान ने इसके लिए कम ब्याज का ऋण भी दिया है जबकि आकलन यह है कि इनके किराए विमान के किराए के समान होंगे तब इनमें कौन मूर्ख यात्रा करना चाहेगा परंतु देश पर तो इस तरह से कई लाख करोड़ का कर्ज चढ ही जाएगा जिसका ब्याज भी देश कभी नहीं चुका पाएगा तब और गलत नीतियों ,टेक्स बढ़ोतरी किराया जुर्माना बढ़ोतरी से करने के दमनकारी प्रयास किये जाएगे परन्तु वह न सिर्फ नाकाफी होगा बल्कि ऊँट के मुंह में जीरे के समान साबित होगा हाँ जनहित के सारे कार्य ठप्प पड़ जाएगे और देश ऐसा मकडजाल में फंस जाएगा जिससे उबर ही नही पाएगा